तो मैं फिर क्यों न कहूं तुम औरंगजेब हो, सच में तुम उसी के वंशज हो। तो मैं फिर क्यों न कहूं तुम औरंगजेब हो, सच में तुम उसी के वंशज हो।
उठो, जागो और चलो सपूतों। दुश्मन ने ललकारा है। उठो, जागो और चलो सपूतों। दुश्मन ने ललकारा है।
नवोदित कवियों के उत्साहवर्धन हेतु रचित रचना जो एक देश के सुनामधन्य वरिष्ठ कवि को मेरा प्रत्युत्तर भी... नवोदित कवियों के उत्साहवर्धन हेतु रचित रचना जो एक देश के सुनामधन्य वरिष्ठ कवि को...
हमारा देश भारत हमारा देश भारत
प्रतिदिन जिनका आतंक की चोटिल छाया है ! भारत के महावीरों अब जाग उठो... ... प्रतिदिन जिनका आतंक की चोटिल छाया है ! भारत के महावीरों अब जाग उठो... ...
धूप का टुकड़ा उजला रूप साँस में चन्दन वन महके रसीले बादल जैसा हृदय सिन्धु सा लहराता यौवन। धूप का टुकड़ा उजला रूप साँस में चन्दन वन महके रसीले बादल जैसा हृदय सिन्धु सा ...